Green Initiative/Van Mahostava
The ‘Kasturi’ Team – An Association of Indian Forest Service officers wives and lady Indian Forest Service Officers, Uttarakhand Chapter is working with an objective to promote and sensitize the citizens of the state in environment, forest and wildlife conservation.
Van Mahotsava plantation in the Forest Rest House Chandrabani, Dehradun campus lawns on the 24th July, 2021
Medicinal Plant Nursery Adopted By Kasturi
Harela Parv 2022
श्रावण मास के पावन अवसर पर आज दिनांक 23 जुलाई 2022 को कस्तूरी – उत्तराखंड राज्य के भारतीय वन सेवा के अधिकारियों की पत्नियों की संस्था द्वारा हरेला पर्व के अवसर पर वन महोत्सव का आयोजन थानों वन विश्राम ग्रह के समीप पथ वृक्षारोपण कर बनाया गया । इस अवसर पर कस्तूरी संस्था द्वारा वृक्षारोपण की महत्व पर चर्चा भी की गई ,
हरेला एक हिंदू त्यौहार है जो मूल रूप से उत्तराखण्ड राज्य में मनाया जाता है । हरेला पर्व वैसे तो वर्ष में तीन बार आता है- लेकिन श्रावण माह में मनाये जाने वाला हरेला सामाजिक रूप से अपना विशेष महत्व रखता है। जिस कारण इस अन्चल में यह त्यौहार अधिक धूमधाम के साथ मनाया जाता है। जैसाकि हम सभी को विदित है कि श्रावण माह भगवान भोलेशंकर का प्रिय माह है, इसलिए हरेले के इस पर्व को कही कही हर-काली के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि श्रावण माह शंकर भगवान जी को विशेष प्रिय है। यह तो सर्वविदित ही है कि उत्तराखण्ड एक पहाड़ी प्रदेश है और पहाड़ों पर ही भगवान शंकर का वास माना जाता है। इसलिए भी उत्तराखण्ड में श्रावण माह में पड़ने वाले हरेला का अधिक महत्व है। हरियाली या हरेला शब्द पर्यावरण के काफी करीब है। ऐसे में इस दिन सांस्कृतिक आयोजन के साथ ही पौधारोपण भी किया जाता है। जिसमें लोग अपने परिवेश में विभिन्न प्रकार के छायादार व फलदार पौधे रोपते हैं।
“तडागकृत् वृक्षरोपी इष्टयज्ञश्च यो द्विजः । एते स्वर्गे महीयन्ते ये चान्ये सत्यवादिनः ॥
तस्मात्तडागं कुर्वीत आरामांश्चैव रोपयेत् । यजेच्च विविधैर्यज्ञैः सत्यं च सततं वदेत् ॥
पुष्पिताः फलवन्तश्च तर्पयन्तीह मानवान् । वृक्षदं पुत्रवत् वृक्षास्तारयन्ति परत्र च ॥
तस्मात् तडागे सद्वृक्षा रोप्याः श्रेयोऽर्थिना सदा । पुत्रवत् परिपाल्याश्च पुत्रास्ते धर्मतः स्मृताः ॥
अतीतानागते चोभे पितृवंशं च भारत । तारयेद् वृक्षरोपी च तस्मात् वृक्षांश्च रोपयेत् ॥
तस्य पुत्रा भवन्त्येते पादपा नात्र संशयः । परलोगतः स्वर्गं लोकांश्चाप्नोति सोऽव्ययान् ॥