Social Activities
Vanmahostav
The ‘Kasturi’ Team – An Association of Indian Forest Service officers wives and lady Indian Forest Service Officers, Uttarakhand Chapter is working with an objective to promote and sensitize the citizens of the state in environment, forest and wildlife conservation.
Van Mahotsava plantation in the Forest Rest House Chandrabani, Dehradun campus lawns on the 24th July, 2021
Animal Adoption Programme
Kasturi adopted a pair of Macaws on the occasion of celebration of wild life week 2021 from Dehradun Zoo
The birds has been adopted for One year by kastrui- Association of IFS Officers Wives and Lady Officer
Dry Grocery Distribution during Pandemic
Millions of daily wage earners & migrant workers went through major suffering due to the First and second wave of the COVID-19 pandemic.
During Covid-19 pandemic 100 families of 10 van panchayats in Jaunpur block Tehri Garhwal were provided by dry ration by their hour of need.
The programme was performed to help them in this difficult situation. The Kasturi members stood one to help them.
Scholarship Programme
Kasturi has started a Scholarship Programme for economically backward meritorious girl students.
Ms Neha Yadav, Ms Komal Sahani and Ms Tanisha Pant got outstanding achievements in Class X Board Exam 2021 and was nominated for scholarship program and has won the scholarship Awarded for Class XI & Class XII.
World Earth Day
Today on occasion of World Earth Day 22nd April 2022 Kasturi -Association of Indian Forest Service Officer’s wives and lady officers, Uttarakhand Chapter, in collaboration with Building Dreams Foundation, Dehradun participated in an awareness program. The theme for this year’s World Earth Day was Invest in our Planet, Kasturi members visited Navadha school, Jhajra, Dehry where children of deprived families are being educated by Building Dreams Foundation (BDF) A discussion with the children on importance of our planet Earth was done wherein children were told about dos and don’ts for preserving our planet Earth:
◆ We should stop using polythene as much as it’s possible. Polyethylene is one of the most polluting elements of the world. Plastic pollution is poisoning our land and oceans, injuring marine life, and affecting our health.
◆ We shouldn’t cut a green trees and we should encourage plantations.
◆ We should try to bring awareness about environmental protection in our society.
◆ We should educate everyone about the importance of biodiversity for our own survival and sustenance of mankind.
◆ We should adopt a sustainable lifestyle wherein we do not use resources more than that is required.
Then children along with Kasturi team planted vegetable saplings on the school terrace with the objective of promoting healthy eating lifestyle and more so to meet the vegetable requirements for children’s school time meals.
KASTURI on its part gifted the school three ceiling fans and three water purifiers.
Children were delighted with the gifts.
KASTURI team appreciates the untiring efforts of Dr Ranjit and his team for educating children from the slums of Dehradun and BDF on its part presented KASTURI a plaque in honour of its contribution for the welfare of people..
Books Distribution Programme
5 अप्रैल 2022 को कस्तूरी संस्था भारतीय वन सेवा के अधिकारियों की पत्नियों की एसोसिएशन, उत्तराखंड चैप्टर द्वारा बिल्डिंग द ड्रीम्स फाउंडेशन एनजीओ के साथ ”शिक्षा सभी के लिए” “एजुकेशन फॉर ऑल”के उद्देश्य से मीठी बेरी के पास मलिन बस्तियों में रह रहे बच्चों को शिक्षा के लिए कॉपी किताबें वितरित की गई । इन बच्चों की पारिवारिक विपरीत परिस्थितियों के बावजूद पड़ने और कुछ बनने के उद्देश्यों ने सभी को प्रभावित किया। कस्तूरी संस्था ने इन बच्चों की पढ़ाई की लिए हर संभव मदद देने का भरोसा दिया। इस अवसर पर श्री रंजीत कुमार अध्यक्ष बिल्डिंग द ड्रीम्स फाउंडेशन एवं श्रीमती शर्मिला भरतरी अध्यक्ष कस्तूरी संस्था श्रीमती नीना ग्रेवाल श्रीमती अंजलि सिन्हा, डॉ शिवानी पटनायक, नीलम मोहन, शिमला मनोज, स्नेहा तथा सुजैन रसैली उपस्थित थी।
हरेला पर्व
श्रावण मास के पावन अवसर पर आज दिनांक 23 जुलाई 2022 को कस्तूरी – उत्तराखंड राज्य के भारतीय वन सेवा के अधिकारियों की पत्नियों की संस्था द्वारा हरेला पर्व के अवसर पर वन महोत्सव का आयोजन थानों वन विश्राम ग्रह के समीप पथ वृक्षारोपण कर बनाया गया । इस अवसर पर कस्तूरी संस्था द्वारा वृक्षारोपण की महत्व पर चर्चा भी की गई ,
हरेला एक हिंदू त्यौहार है जो मूल रूप से उत्तराखण्ड राज्य में मनाया जाता है । हरेला पर्व वैसे तो वर्ष में तीन बार आता है- लेकिन श्रावण माह में मनाये जाने वाला हरेला सामाजिक रूप से अपना विशेष महत्व रखता है। जिस कारण इस अन्चल में यह त्यौहार अधिक धूमधाम के साथ मनाया जाता है। जैसाकि हम सभी को विदित है कि श्रावण माह भगवान भोलेशंकर का प्रिय माह है, इसलिए हरेले के इस पर्व को कही कही हर-काली के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि श्रावण माह शंकर भगवान जी को विशेष प्रिय है। यह तो सर्वविदित ही है कि उत्तराखण्ड एक पहाड़ी प्रदेश है और पहाड़ों पर ही भगवान शंकर का वास माना जाता है। इसलिए भी उत्तराखण्ड में श्रावण माह में पड़ने वाले हरेला का अधिक महत्व है। हरियाली या हरेला शब्द पर्यावरण के काफी करीब है। ऐसे में इस दिन सांस्कृतिक आयोजन के साथ ही पौधारोपण भी किया जाता है। जिसमें लोग अपने परिवेश में विभिन्न प्रकार के छायादार व फलदार पौधे रोपते हैं।
“तडागकृत् वृक्षरोपी इष्टयज्ञश्च यो द्विजः । एते स्वर्गे महीयन्ते ये चान्ये सत्यवादिनः ॥
तस्मात्तडागं कुर्वीत आरामांश्चैव रोपयेत् । यजेच्च विविधैर्यज्ञैः सत्यं च सततं वदेत् ॥
पुष्पिताः फलवन्तश्च तर्पयन्तीह मानवान् । वृक्षदं पुत्रवत् वृक्षास्तारयन्ति परत्र च ॥
तस्मात् तडागे सद्वृक्षा रोप्याः श्रेयोऽर्थिना सदा । पुत्रवत् परिपाल्याश्च पुत्रास्ते धर्मतः स्मृताः ॥
अतीतानागते चोभे पितृवंशं च भारत । तारयेद् वृक्षरोपी च तस्मात् वृक्षांश्च रोपयेत् ॥
तस्य पुत्रा भवन्त्येते पादपा नात्र संशयः । परलोगतः स्वर्गं लोकांश्चाप्नोति सोऽव्ययान् ॥
महाभारत महाकाव्य के एक प्रकरण में भीष्म पितामह द्वारा महाराज युधिष्ठिर को वृक्षों की उपयोगिता के बारे में बताया गया है।
वृक्षारोपण करने वाले द्विज को स्वर्ग में महत्ता दी जाती है । फलों और फूलों वाले वृक्ष मनुष्यों को तृप्त करते हैं । वृक्ष देने
वाले अर्थात् समाजहित में वृक्षरोपण करने वाले व्यक्ति का परलोक में तारण भी वृक्ष करते हैं । पेड़-पौधों का महत्व फल-फूलों के कारण होता ही हैं । अन्य प्रकार की उपयोगिताएं भी उनसे जुड़ी हैं, जैसे पथिकों को छाया, गृहस्थों को जलाने के लिए इंधन, भवन निर्माण के लिए लकड़ी, इत्यादि । इसलिए श्रेयस् यानी कल्याण की इच्छा रखने वाले मनुष्य को चाहिए कि वह अच्छे-अच्छे पेड़ लगाए और उनका पुत्र की भांति पालन करे । वास्तव में धर्मानुसार वृक्षों को पुत्र ही माना गया है ।वृक्षों की उपयोगिता देखते हुए उनको पुत्र कहा गया है । जिस प्रकार मनुष्य अपने पुत्र का लालन-पालन करता है वैसे ही वृक्षों का भी करे । जैसे सुयोग्य पुत्र माता-पिता एवं समाज का हित साधता है वैसे ही वृक्ष भी समाज के लिए हितकर होते हैं
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इस अवसर पर कस्तूरी की अध्यक्षा श्रीमती शर्मिला भरतरी ने कहा कि जिस प्रकार वृक्ष निस्वार्थ भाव से खड़े रहकर लोगों को प्राणवायु, ऑक्सीजन प्रदान करते हैं उसी प्रकार मनुष्य को भी निस्वार्थ भाव से मानव सेवा एवं पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए ।
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इस अवसर पर श्रीमती शर्मिला भरतरी, नीना ग्रेवाल, शिवानी पटनायक, अंजलि सिन्हा, अलका गुप्ता, प्रणिती सुबुद्धि, संगीता मिश्रा, सुजान रसेली, स्नेहा सिंह, स्निग्धा पात्रों, तथा शिमला मनोज द्वारा थानो देहरादून एयरपोर्ट संपर्क मार्ग पर फलदार एवं छायादार वृक्षों का पथ वृक्षारोपण किया गया। कस्तूरी संस्था द्वारा प्रभागीय वन अधिकारी देहरादून प्रभाग एवं समस्त स्टाफ को सहयोग देने हेतु धन्यवाद ज्ञापित किया गया।
वसुधा एक उत्सव
आप यह जानते ही हैं कि, हमारे अस्तित्व का आधार, यानी हमारी पृथ्वी को वसुधा भी कहा जाता है। और हमें संरक्षित करने वाली वसुधा, हमारे द्वारा प्रयोग किए जा रहे सिंगल यूज प्लास्टिक के कारण खतरे में है, और अब वसुधा को ही संरक्षण की आवश्यकता हो रही है. आज का यह कार्यक्रम हमारी धरती को संरक्षित करने हेतु संकल्पित होने का उत्सव है, इसीलिए इस कार्यक्रम का नाम भी वसुधा रखा गया है, वसुधा एक उत्सव है, धरती के संरक्षण का संकल्प लेने का और सिंगल यूज प्लास्टिक को ‘ना’ कहने का. हमारा सौभाग्य है की कस्तूरी के इस प्रयास को महत्व और गरिमा प्रदान करने के लिए हमारे मध्य मुख्य अतिथि के रूप में माननीय विधानसभा अध्यक्ष श्रीमती रितु खंडूरी भूषण मैम उपस्थित थी। श्रीमती रितु खंडूरी मैम उत्तराखंड विधानसभा की छठी अध्यक्ष चुनी गई हैं श्रीमती रितु मैम दूसरी बार उत्तराखंड विधानसभा में विधायक निर्वाचित हुई है , कस्तूरी के उपाध्यक्ष श्रीमती नीना ग्रेवाल ने मुख्य अतिथि तथा कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथियों के रूप में पधारे सभी ग्राम प्रधान तथा सभा कक्ष में उपस्थित सभी अतिथि गणों का स्वागत किया।
इसके बाद हमारी सांस्कृतिक परंपरा के अनुसार दीप प्रज्वलन कर कर कार्यक्रम का शुरुआत की गई , कार्यक्रम की शुरुआत मां शारदे का नमन करके किया। शेराली पटनायक कक्षा 11 की छात्रा ने सरस्वती वंदना एवं शिव स्तुति का प्रस्तुतीकरण किया । श्रीमती अनीता सिंघल ने हमारी मुख्य अतिथि महोदय को उत्तराखंड के कारीगरों द्वारा निर्मित एक साड़ी उपहार स्वरूप दी। श्रीमती नीना अग्रवाल ने हमारी अतिथि महोदय को कस्तूरी संस्था की लाइफ टाइम मेंबरशिप देकर कस्तूरी का मान बढ़ाया। कस्तूरी संस्था के अध्यक्ष श्रीमती शर्मिला भरतरी ने मुख्य अतिथि महोदय का तुलसी का पौधा देकर स्वागत किया तथा डॉ शिवानी पटनायक सचिव कसूरी संस्था ने छोटे से डेढ़ साल के सफर का सूक्ष्म प्रस्तुतीकरण किया। डीबीएस पीजी कॉलेज के छात्रों ने भी इस वसुधा कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्य संकल्प संरक्षण का से नो टू प्लास्टिक के बारे में एक नुक्कड़ नाटक का प्रस्तुतीकरण किया। इसके बाद श्रीमती कहकशा नसीम आईएफएस ने प्लास्टिक आज की तिथि में किस तरह हमारे पर्यावरण का मुख्य शत्रु बन गया है तथा वेस्ट मैनेजमेंट के बारे में अपने अनुभवों को हमारे साथ साझा किया।
हम सभी के अस्तित्व और हमारी धरती की बेहतरी के लिए सिंगल यूज प्लास्टिक का प्रयोग न करना आज के समय की सबसे बड़ी प्राथमिकता है. सिंगल यूज प्लास्टिक से अभिप्राय एक ही बार इस्तेमाल किए जाने वाले प्लास्टिक प्रोडक्ट से है। सिंगल यूज प्लास्टिक को केवल एक बार प्रयोग करके फेंक दिया जाता है। इनमें प्लास्टिक की थैलियां, डिस्पोजल प्लास्टिक, स्ट्रॉ, सोडा वा पानी की बोतलें शामिल हैं। इसके अलावा हमारी दिनचर्या में पूरी तरह शामिल हो चुके थर्माकोल से बनी प्लेट, कप, गिलास, प्लास्टिक कांटे, चम्मच, चाकू, ट्रे, मिठाई के बक्सों पर लपेटी जाने वाली पॉलिथीन, गुब्बारे की छड़ें और आइसक्रीम पर लगने वाली स्टिक, कैंडी स्टिक, यह सभी सिंगल यूज प्लास्टिक की श्रेणी में आते हैं। पिछले कई वर्षों में हमारे द्वारा एक बार प्रयोग करने के बाद फेंक दिए जाने के कारण कई मीट्रिक टन सिंगल यूज प्लास्टिक, कूड़े के ढेर के रूप में हमारी मिट्टी को दूषित कर , हमारे स्वास्थ्य को खराब कर रहा है । वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों द्वारा हमारा ध्यान इस ओर बार-बार दिलाया जाता है, लेकिन हम सभी यह सोचते हैं कि, सिर्फ हमारे प्रयोग न करने से क्या होगा….. सभी लोग तो कर रहे हैं। बस इसी सोच के कारण सिंगल यूज प्लास्टिक के ढेर दिन पर दिन बढ़ते जा रहे हैं। अब हमें इस दिशा में पूरी गंभीरता से सोचना चाहिए।
भारत सरकार ने 1 जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है। हमें इस सकारात्मक कदम के प्रति जागरूक होना चाहिए। यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी है कि हम बाजार से सामान लाने या अपनी दूसरी आवश्यकताओं के लिए कपड़े की बनी थैल का ही प्रयोग करें। हमें सिंगल यूज प्लास्टिक पर लगे प्रतिबंध को मात्र प्रतिबंध ना मानते हुए अपनी जिम्मेदारी समझना चाहिए और सिंगल यूज प्लास्टिक को हमेशा के लिए ना कह देना चाहिए।
हमारे लोकप्रिय प्रधानमंत्री के द्वारा 25 सितंबर 2022 को प्रसारित मन की बात में भी प्लास्टिक हमारे पर्वों की भावना के खिलाफ है के बारे में उल्लेख किया गया उन्होंने कहा कि प्राय त्योहारों पर पैकिंग के लिए पॉलिथीन Bags का बहुत ही ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है स्वच्छता के इन पर्वों पर पॉलिथीन एक नुकसानदायक कचरा है यह हमारी पर्वों की भावना के खिलाफ है इसलिए हम स्थानीय स्तर पर बने हुए नॉन प्लास्टिक बैग्स का ही इस्तेमाल करें हमारे यहां आज कल सूत के, केले के, कपास के कितने ही पारंपरिक Bags का चलन फिर से बढ़ रहा है यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम त्योहारों के अवसर पर इन को बढ़ावा दें और स्वच्छता के साथ अपने-अपने और पर्यावरण के स्वास्थ्य का भी ख्याल करें से नो टू प्लास्टिक जो यह एक मुहिम पूरे भारतवर्ष में 1 जुलाई से शुरू हुई है जिसमें सिंगल यूज़ प्लास्टिक भारतवर्ष में पूर्णता प्रतिबंधित किया जा चुका है हमारी मुख्य अतिथि महोदय को कि वह हमारे उत्तराखंड की प्राकृतिक धरोहर हमारे वनों के सुरक्षा प्रहरी हमारे ग्राम प्रधान भाई एवं बहनों को Jute बैग वितरित करें और से नो टू प्लास्टिक मुहिम को जन-जन तक पहुंचाने में हमारे साथ संकल्प लेने की शपथ ली। इसके बाद हमारी मुख्य अतिथि श्रीमती रितु खंडूरी जी ने अपने आशीर्वाद स्वरुप कस्तूरी संस्था के सदस्यों एवं हमारे ग्राम प्रधान भाई और बहनों को संबोधन किया | यह एक तथ्य है कि, किसी भी व्यक्ति या संस्था के द्वारा किए जा रहे समाजोपयोगी कार्य तभी सार्थक को पाते हैं, जब अधिक से अधिक लोग उन प्रयासों के बारे में जान पाए, और आवश्यकता होने पर उस व्यक्ति या संस्था से संपर्क भी कर सकें। इसी विचार के साथ, उत्तराखंड में भारतीय वन सेवा के अधिकारियों और पत्नियों के सामाजिक संगठन, ‘कस्तूरी’ द्वारा अपने उद्देश्यों और कार्यों के बारे में जानकारी का प्रसार करने हेतु एक डायरी प्रकाशित की है। मुख्य अतिथि, माननीय विधानसभा अध्यक्ष श्रीमती रितु खंडूरी भूषण मैडम कस्तूरी डायरी का विमोचन किया। मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि, डायरी के मुखपृष्ठ को उत्तराखंड की मातृशक्ति के लिए कस्तूरी के प्रयासों को प्रतिबिंबित करते डिजाइन से सज्जित किया गया है। साथ ही डायरी के भीतरी पृष्ठों में, भारतीय वन सेवा के अधिकारियों द्वारा उत्तराखंड के विभिन्न प्राकृतिक आयामों को प्रदर्शित करते फोटोग्राफ प्रकाशित किए गए हैं। इस कार्यक्रम के अंत में इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाने आई श्रीमती रितु खंडूरी मैम तथा देहरादून एवं टिहरी जनपद से आए समस्त ग्राम प्रधान भाई एवं बहनों एवं हमारे समस्त वन विभाग के स्टाफ एवं अधिकारियों , उत्तराखंड पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के मेंबर सेक्रेट्री एवं देहरादून जू के समस्त स्टाफ का जिन्होंने इस वसुधा कार्यक्रम को सफल बनाने में हमारा पूर्ण सहयोग दिया, सबका धन्यवाद किया गया। हमारी मुख्य अतिथि महोदय ने देहरादून जू के प्रांगण में एक रुद्राक्ष का पौधा रोपित किया तथा सभी के लिए सूक्ष्म जलपान की व्यवस्था भी की गई।
निशुल्क स्वास्थ्य परामर्श शिविर
समाजोपयोगी कार्यों और जनोपयोगी गतिविधियों के लिए उत्तराखण्ड में भारतीय वन सेवा के अधिकारियों और पत्नियों के सामाजिक संगठन ‘कस्तूरी‘ के सहयोग से ‘मातृ सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट, देहरादून‘ द्वारा नगर के इंदिरा नगर क्षेत्र स्थित जलागम प्रबंध निदेशालय परिसर में दिनांक 24 दिसंबर 2022 को एक निशुल्क स्वास्थ्य परामर्श शिविर आयोजित किया गया। चिकित्सा शिविर में सामान्य चिकित्सा, नेत्र रोग, नाक कान गले के रोग, दंत रोग तथा मनोरोग के विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा लोगों की निशुल्क जांच की गई। शिविर में वसंत विहार, इंदिरा नगर, जलागम कॉलोनी, सीमा द्वार आदि निकटवर्ती क्षेत्रों के निवासियों ने भारी संख्या में विभिन्न रोगों की जांच कराई। कार्यक्रम में ट्रस्ट के संस्थापक श्री कुलदीप जखमोला ने कहा कि कस्तूरी संस्था की श्रीमती शर्मिला भरतरी, श्रीमती नीना ग्रेवाल, श्रीमती शिवानी पटनायक तथा श्रीमती अनीता सिंघल द्वारा इस जनोपयोगी चिकित्सा शिविर कार्यक्रम को मूर्त रूप देने में मातृ सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट को दिया गया सहयोग अत्यंत सराहनीय है।
कस्तूरी संस्था की ओर से बताया गया कि यह निशुल्क चिकित्सा शिविर क्षेत्र के जरूरतमंदों, विशेष रुप से अकेले रहने वाले बुजुर्गों के लिए बहुत ही उपयोगी रहा है। इस चिकित्सा शिविर में विशेषज्ञ डॉक्टरों, डॉ0 वाई एस पाल, डॉ0 देवाशीष चौहान, डॉ0 रंजीत, डॉ0 दिव्या घई चोपड़ा तथा डॉ0 तृप्ति मोंगिया ने निशुल्क सेवाएं दी। कार्यक्रम के संयोजक डॉ दीपक विष्ट के अलावा शिविर में जलागम की ओर से डॉ0 एस के सिंह, डॉ0 जे सी पाण्डे तथा श्री सोहन सिंह रावत आदि उपस्थित रहे।
लोहड़ी पर्व पर गरीब और असहाय बच्चों की मदद
मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर कस्तूरी संस्था भारतीय वन सेवा के अधिकारियों की पत्नियों द्वारा संचालित एक समाज सेवी संस्था द्वारा बिल्डिंग ड्रीम्स फाउंडेशन के साथ मिलकर मालिन बस्तियों में रह रहे करीब 125 बच्चों के साथ यह त्योहार बनाया. बिल्डिंग ड्रीम्स फाउंडेशन संस्था झाझरा देहरादून में स्थित है यह मालिन बस्तियों के बच्चों के संपूर्ण विकास के लिए अग्रसर है कस्तूरी द्वारा बच्चों के लिए गरम टोपी, मोजे, गजक, रेवड़ी इत्यादि इन बच्चों को वितरित की गई। कस्तूरी द्वारा बच्चों के साथ गाने, कविताएँ इत्यादि गाई तथा उनके उज्जवल भविष्य की कामना की गई।
इस कार्यक्रम में श्री रंजीत बार, सुरभि जैसवाल, जूही पांडे ,श्रीमती शर्मिला भरतरी, नीना ग्रेवाल, डॉ शिवानी पटनायक, श्रीमती अंजलि सिन्हा, शिमना मनोज सुजैन रसायली , स्नेहा मानसिंह, गीता सिंह, स्निग्धा पात्रो द्वारा प्रतिभाग किया गया।